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Saturday, August 1, 2015

ईमान वाले बंदों की ज़िम्मेदारी है बुराई का ख़ात्मा करना Eiman e kamil


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया-
'तुम में से जो आदमी किसी बुराई को देखे, उसे अपने हाथ (ताकत) से बदल दे, अगर यह भी मुमकिन न हो सके तो ज़ुबान से उसे बदलने की कोशिश करे, अगर यह भी मुमकिन न हो तो दिल ही से सही और यह ईमान का सबसे कमज़ोर दर्जा है।' -मुस्लिम


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